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समाज में जो भी मूकबधिर, मानसिक विमंदित, नैत्रहीन या किसी भी तरह के दिव्यांगजन है वे तिरस्कार एवं घृणा के पात्र नहीं है हमें उनके साथ मानवीय व्यवहार करना चाहिए और यह मानवीय व्यवहार है उन्हें शिक्षित करना एवं समाज की मुख्य धारा से जोड़ना |
‘‘तपस’’ बधिर माध्यमिक आवासीय विद्यालय, डूंगरपुर
विद्यालय का शुभारम्भ दिनांक 07 दिसम्बर 2000 को दो छात्राओं को प्रवेशित कर किया गया, प्रारम्भ में अभिभावक बधिर बालकों की शिक्षा से अनभिज्ञ होने के कारण यही समझते थे कि बधिर बालक पढ़ – लिख सकता ही नही है। इसलिए वे अपने ऐसे बच्चों को विद्यालय भेजने को तैयार ही नही होते थे। अतः ऐसे बालकों को इनके घर पर ही जाकर पढ़ाना प्रारम्भ किया, जब अभिभावकों ने देखा की यह बच्चे भी लिखना – पढ़ना सिख रहे हैं, तो फिर धिरे – धिरे बच्चों को विद्यालय भेजना प्रारम्भ किया। प्रारम्भ में डूंगरपुर शहर के मूक बधिर बालक – बालिकाओं को ही प्रवेशित किया गया। धीरे – धीरे गाॅवों में चिकित्सा शिविरों के माध्यम से, घर – घर जाकर सम्पर्क कर माता-पिता को समझाकर बच्चों को विद्यालय में जोड़ने (प्रवेश) हेतु प्रेरित किया गया।
धीरे – धीरे संस्थान के प्रयासों से लोगों में (समाज में) जन – जाग्रति आई और विद्यालय में प्रवेश दिलाने प्रतिवर्ष छात्रों की संख्या में वृद्धि होती गई। वर्तमान में डूंगरपुर, बाॅसवाड़ा, उदयपुर, प्रतापगढ़ तथा अन्य जिलों से भी छात्र शिक्षा हेतु विद्यालय में प्रवेशित हो रहे है।
अभी तक विद्यालय से करीब 500 मूक बधिर छात्र-छात्राऐ शिक्षा प्राप्त कर समाज की मुख्य धारा से जुड चुके है एवं कई छात्र उच्च शिक्षा हेतु अन्यत्र उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत है।
वर्तमान में विद्यालय में 100 से भी अधिक मूक बधिर बालक-बालिकायें प्रवेशित होकर शिक्षा-प्रशिक्षण, आवास एवं भोजन की निःशुल्क सुविधा का लाभ प्राप्त कर रहे है। विद्यालय में पुर्व प्राथमिक से दसवीं कक्षा तक विषेश शिक्षा में प्रशिक्षित अनुभवी विषेश शिक्षकों के माध्यम से शिक्षण-प्रषिक्षण दिया जा रहा है।
शिक्षा के साथ-साथ बालकों के शारीरिक एवं मानसिक उत्थान के लिए आयोजित विविध प्रतियोगिताओं में हमेशा ये बालक अग्रणी रहते है।
विद्यालय में इन दिव्यांग बालकों के विकास हेतु उपर्युक्त सहायक श्रवण यंत्र की व्यवस्था ऑडियोट्री ट्रेनिंग (सुनने का प्रशिक्षण) एवं स्पीच थैरेपी द्वारा बोलने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
‘‘तपस’’ मानसिक विमन्दित आवासीय विद्यालय, डूंगरपुर
परिवार में बोझ समझे जाने वाले, जन्म से मानसिक विमन्दित बालक – बालिकाओं के कौषल प्रषिक्षण हेतु आवासीय विद्यालय का शुभारम्भ 01 जुलाई 2001 से किया गया। विद्यालय में बालको की दैनिक दिनचर्या प्रशिक्षण (ब्रश करना, नहाना-धोना, कपड़े पहनना, तैयार होना), भोजन प्रशिक्षण (भोजन चबाना, खाना, निगलना), शिक्षण प्रशिक्षण (लिखना, पढ़ना, गिनना, बोलना इत्यादि) समय ज्ञान, उठना, बैठना इत्यादि क्रियाओं का प्रशिक्षण (Skill Training) के माध्यम दिया जाता है।
वर्तमान में विद्यालय में कुल 73 मानसिक विमन्दित बालक-बालिकाओं को प्रवेशित किया गया है। प्रत्येक बालक को उनके मानसिक स्तर अनुसार विषेश शिक्षकों द्वारा व्यक्तिगत एवं सामूहिक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
इन बच्चों के मानसिक विकास हेतु अभिनव प्रयोग करते हुए विद्यालय में ब्रेन थैरेपी प्रारंभ की गई है। जिसके परिणाम स्वरूप बालकों के मानसिक विकास में वृद्धि की जा रही है।
‘‘तपस’’ मानसिक विमन्दित पुनर्वास गृह, डूंगरपुर
वर्ष 2013 में मानसिक विमन्दित व्यक्तियों की देखरेख हेतु पूर्ण कालिन पुनर्वास गृह का शुभारम्भ किया गयाा। वर्तमान में 25 मानसिक विमन्दित व्यक्ति गृह में आवासरत होकर निःशुल्क आवास, भोजन एवं अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे है।
‘‘तपस’’ अनुदानित जनजाति बालक छात्रावास, डूंगरपुर
वागड़ क्षैत्र के गरीब जनजाति बालकों को शहर में षिक्षा प्राप्त करने हेतु निःशुल्क आवासीय सुविधाओं के लिए सत्र 2004-05 से डूंगरपुर जिला मुुख्यालय पर ‘‘तपस’’ अनुदानित जनजाति बालक छात्रावास का संचालन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, डूंगरपुर के सहयोग से किया जा रहा है।
वर्तमान में 25 गरीब जनजाति बालक छात्रावास में प्रवेशित होकर निःशुल्क भोजन, अवास एवं अन्य सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर रहे है।
‘‘तपस’’ विशेष विद्यालय, प्रतापगढ़
प्रतापगढ़ जिले के दिव्यांग बालको के अभिभावकों के निवेदन पर सत्र 2012-13 में प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर मूक बधिर, मानसिक विमन्दित एवं नैत्रहीन बालक-बालिकाओं को उचित विशेष प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने हेतु ‘‘तपस’’ विशेष विद्यालय का शुभारम्भ किया गया।
वर्तमान में विद्यालय में 100 मूक बधिर, मानसिक विमन्दित एवं नैत्रहीन बालक-बालिकाऐ को पूर्व प्राथमिक से आठवीं कक्षा तक की शिक्षा विषेश शिक्षको के माध्यम से निःशुल्क प्रदान की जा रही है।
‘‘तपस’’ मानसिक विमन्दित पुनर्वास गृह, प्रतापगढ़
वर्ष 2014 में मानसिक विमन्दित बालकों की देखरेख हेतु पूर्ण कालिन पुनर्वास गृह का शुभारम्भ प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर किया गया। वर्तमान में 50 मानसिक विमन्दित बालक गृह में आवासरत होकर निःशुल्क आवास, भोजन एवं अन्य सुविधाओं का लाभ उठा रहे है।..
दिव्यांगजन एवं अभिभावक परामर्श केन्द्र, डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़
दिव्यांगजनो एवं उनके अभिभावको को राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी तथा सुविधाओं हेतु परामर्श देने तथा उनकी विभिन्न योजनाओं के आवेदन तैयार करवाकर सुविधाएँ उपलब्ध करवाने हेतु संस्थान द्वारा डूंगरपुर एवं प्रतापगढ़ जिला मुख्यालय पर दिव्यांगजन एवं अभिभावक परामर्श केन्द्र की स्थापना की गई है। जहाॅ पर दिव्यांगजनों को राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार द्वारा सहायक उपकरण (श्रवण यंत्र, ट्रायसाइकिल, केलिपर्स, व्हील चैयर, बैसाखी, छड़ी इत्यादि), रोडवेज बस पास, रेलवे पास, पेंशन आदि योजनाओं के आवेदन पत्र भरवाकर सुविधाओं का लाभ प्रदान करवाया जाता है।
‘‘तपस’’ विशेष शिक्षा महाविद्यालय, डूंगरपुर
संस्थान् द्वारा पिछले 20 वर्षों से दिव्यांगजनों की शिक्षा एवं पुनर्वास का कार्य किया जा रहा है परन्तु वागड क्षैत्र एवं सम्पूर्ण उदयपुर संभाग में दिव्यांगनों को शिक्षा एवं प्रषिक्षण देने वाले विषेश शिक्षकों की कमी के कारण समस्त दिव्यांगजनों को विशेष शिक्षा उपलब्ध करवाना कठिन हो रहा था।
विशेष शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए संस्थान द्वारा सत्र 2019-20 से डूंगरपुर जिला मुख्यालय पर भारतीय पुनर्वास परिषद, नई दिल्ली द्वारा सम्बद्धता प्राप्त कर ‘‘तपस’’ विशेष शिक्षा महाविद्यालय का शुभारम्भ कर विशेष शिक्षा में द्धिवर्षिय पाठ्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
वर्तमान में महाविद्याालय में वागड़ क्षैत्र के 25 प्रशिक्षणार्थी दिव्यांग बालकों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है।